।। श्री गणेशाय नमः ।।
ननुआँ जी का आध्यात्मिक प्रवेश ।
परम पूज्य गुरुदेव श्री नानुआँ जी चपरासी ने जिला बुलन्द शहर उत्तर प्रदेश के राम घाट कस्बे में ब्राह्मण कुल में 26 जून , 1926 को स्वामीजी के परिवार में जन्म लिया । स्वामी जी ने इनका नाम विष्णु दत्त रखा । गुरुदेव ने लगभग 35 वर्ष तक सामान्य जीवन जिया । तदुपरांत आध्यात्म की ओर रुख किया । पूज्य बड़े गुरुदेव श्री नागा जी ने इन्हें शिष्य रूप में स्वीकार कर आध्यात्म क्षेत्र में प्रवेश कराया । इनके दिशा निर्देश में ननुआँ जी ने 24 वर्ष हठ योग के द्वारा कठोर साधना एवं जप-तप रामघाट में सिद्धवरी नमक स्थान के विशाल वाट वृक्ष के नीचे किया और दिव्य दृष्टि तथा ज्ञानार्जन किया ।
रामघाट में कई प्राचीन तथा सिद्ध मन्दिर भी हैं जैसे - टीले वाली माता, शिवजी , माँ अन्नपूर्णा , दाऊबाबा , हनुमानजी , नरसिंह भगवान ..... यहाँ पर परम पवित्र पावन माँ गंगा भी बहती हैं। अवसर मिलने पर इन पवित्र एवं सिद्ध स्थानों के दर्शन अवश्य करें ।
रामघाट में कई प्राचीन तथा सिद्ध मन्दिर भी हैं जैसे - टीले वाली माता, शिवजी , माँ अन्नपूर्णा , दाऊबाबा , हनुमानजी , नरसिंह भगवान ..... यहाँ पर परम पवित्र पावन माँ गंगा भी बहती हैं। अवसर मिलने पर इन पवित्र एवं सिद्ध स्थानों के दर्शन अवश्य करें ।
"ॐ - श्री" वह प्राण शक्ति है जो इस संसार का संचालन करती है और इस शक्ति के सामने हम आप सब नतमस्तक हैं। इसी " ॐ - श्री " के सत्व से 'ननुआँ चपरासी' शब्द का उद्गम हुआ है।
श्री ननुआँ जी ने आध्यात्म के क्षेत्र में अन्य धर्म गुरुओं के कार्य क्षेत्र से हट कर एक अलग शैली को अपनाया है । ननुआँ जी अपने शिष्यों को उनके मापदण्ड के आधार पर दिव्या दृष्टि प्रदान करी हैं जिसके द्वारा उनके शिष्य, दु:खी प्राणी जनो की समस्या , दु:ख, बीमारी तथा अन्य संकटों के कारणों का पता लगा कर उनका निवारण करते हैं और 21 जन्मों के पापों से मुक्ति दिलाते हैं । ( " किसी भी बीमारी में डॉक्टर से इलाज अवश्य कराएँ ।")
श्री ननुआँ जी ने आध्यात्म के क्षेत्र में अन्य धर्म गुरुओं के कार्य क्षेत्र से हट कर एक अलग शैली को अपनाया है । ननुआँ जी अपने शिष्यों को उनके मापदण्ड के आधार पर दिव्या दृष्टि प्रदान करी हैं जिसके द्वारा उनके शिष्य, दु:खी प्राणी जनो की समस्या , दु:ख, बीमारी तथा अन्य संकटों के कारणों का पता लगा कर उनका निवारण करते हैं और 21 जन्मों के पापों से मुक्ति दिलाते हैं । ( " किसी भी बीमारी में डॉक्टर से इलाज अवश्य कराएँ ।")
ननुआँ जी कहते हैं कि इन्सान अपने इस जन्म और पूर्व जन्मों के पाप कर्मों के कारण ही पीड़ा भोगता है और यही पाप संस्कार उससे कर्म कुकर्म कराते हैं इसलिए इनसे मुक्ति पाना जरुरी है। ननुआँ जी ने पापों से मुक्ति पाने के बहुत ही सरल एवं सात्विक उपाय बताये हैं । आगे के लेखों में इनके बारे में विस्तार से बताया जायेगा ।ननुआँ जी कहते है कि सबको अपने गुरु, ईष्ट, कुल देवी -देवता की पूजा तथा आऊत -पितृओं के शान्ति उपाय करने चाहिए इसे जीवन काफी सरल हो जाता है ।
ननुआँ जी ने 7 जुलाई 2009 में निर्वाण प्राप्त किया, पर आज भी वो हमारे बीच में हैं और हमें अपना मार्ग दर्शन और सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं । उनके अनेक अनुयायी अलग - अलग शहरों में रहकर ननुआँ जी और उनके द्वारा दी गई दिव्य दृष्टि से लोगों की सेवा कर रहे हैं ।
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