। श्री गणेश वन्दना ।
गणराज दु:खी जन की नैया , भव सागर पार लगा देना ।
बल, बुद्धि , ज्ञान भण्डार भरो, भव फ़न्द से हमें छुड़। देना ।।
गणपति तुम सब कुछ लायक हो , भक्तों के सदा सहायक हो।
अज्ञान , मद ,मोह का पर्दा, इस दास का नाथ हटा देना ।। 1 ।।
तुम बुद्धि गुणागर हो स्वामी ,तुम दाता हो भण्डारी हो ।
इस दास दु:खी निज सेवक को , भव सिन्धु के पार लगा देना ।। 2 ।।
है सत्य मार्ग जो भक्ति का , जिससे मुक्ति मिल जाती है ।
हम भूले , भटके अन्धों को , वह मुक्ति मार्ग दिखला देना।। 3 ।।
माता दुर्गे का पाला हूँ , मैं कभी नहीं मतवाला हूँ ।
इस ब्राह्म सुधा के सागर में , गुरु फिर दे कमल खिला देना ।। 4 ।।
(image from google search)
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