पापों के प्रायश्चित हेतु हवन
पापों के प्रायश्चित हेतु हवन करने के लिए पहले बताई जा चुकी विधि से हवन करें , फिर परिवार में जितने सदस्य हों उतनी संख्या में गरी के सूखे गोले लें और उनके ऊपर का छोटा सा हिस्से काट कर ढक्कन हटा दें और जल से धोकर उसमें देसी घी ,मिष्ठान डाल कर निवेदन करें -
"हे आकाश, पाताल, पृथ्वी पर रहने वाले देवी-देवताओं , आहूतों - पित्रों , राक्षसों यह भोग ग्रहण करें और हमारे और गुरुदेव के बीच से हट जायें और उनसे हमारा सीधा संपर्क होने दें "
इसके पश्चात पापों के प्रायश्चित हेतु ननुआँ जी से प्रार्थना करें और निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करने के बाद गोले को ढक्कन से बन्द करने के बाद हवन कुण्ड में डाल दें -
मंत्र -
श्री गणेश ॐ ब्रह्म सच्चिदानंद महालक्ष्मी जी
संचित पापं श्रापं प्रकोपम विनिश्यामी
वनखण्ड।य नमः ननुआँ नमामि नमो नमः ।
यदि किसी प्राणी ने छिपकली , जुएँ , खटमल, दीमक, तिलचट्टे आदि मरे हों तो 3 बताशे लेकर उसमें उंगली से थोड़ा सा खून ( 1 - 2 बून्द ) निकाल कर लगा दें और ऊपर लिखे मंत्र पढ. कर तीनों बताशे हवन कुण्ड में डाल दें और सम्बन्धित प्राणियों से क्षमा माँगे ।
( खून निकलने के लिये नई इंजेक्शन की सूई का ही इस्तिमाल करें , और इक बार एक ही व्यक्ति पर इस्तमाल करें फिर उसे फेक दें )
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