Wednesday, 20 February 2013

पाप कर्म और उनके प्रायश्चित हेतु उपाय


प्रत्येक पाप के प्रायश्चित हेतु अलग - अलग उपाय और भोग  हैं जो इस लेख में आगे लिखे  हैं , चार अगरबत्तियाँ  जलाकर ननुआँ जी का आवाहन करके उनसे  से निवेदन करें - " ननुआँ जी आप आइए और यह............ कार्य करा दीजिये तथा जिने  ये भोग भेंट दिलाना हो दिलाइये और हमें इनके पाप, श्राप , प्रकोप से क्षमा करिए तथा आप भी कृपा कीजिये ।  "

आवाहन  विधि - http://nanuachaprasi.blogspot.in/2013/02/4-21-4-invocation-technique-any-person.html


  1. यदि चीटी और चीटे मरे हैं तो २१ दिन मीठी पंजरी( घी में आटा भून  कर चीनी मिलाये ) का भोग दें | 
  2. जूते / चप्पलों से अनेक जीव मर जाते हैं इसलिए महीने में एक बार सारे जूते /चप्पलों को इकठ्ठा कर ननुआँ जी का आवाहन कर के इन पर  पीले फूल , जल ,मीठे का भोग दे और माफ़ी मांगे।
  3. पेड़ - पौधे, फल-सब्जी , अनाज को काटने से पाप लगता है इसलिए एक बाल्टी में थोड़ी सी चीनी डाल ननुआँ जी से पाप मुक्ति की प्राथना करें और उस पानी को हरे-भरे तथा सुखें पौधौं में डाले। इससे पूरा देश हराभरा हो जायेगा । 
  4. चूहे, बिल्ली, या कुत्ता  मारने पर या उनको घर से बाहर छुड़वाने २१  दिन तक आव्हान कर उनको  को दूध - रोटी रखें और पापों की क्षमा माँगे । 
  5. कोई भी पक्षी मारा हो तो २१ दिन दाना खिलाओ, और अगर तोते का पाप हो तो तोते को मिर्च और अमरुद खिलाये और माफ़ी मांगे । 
  6. खरगोश मारा हो या सपने में दिखा हो  तो २१ दिन तक ननुआँ  का आवाहन कर घास - फूस या रोटी खरगोश खिलाओ । 
  7. बकरा-बकरी , भैंस - भैंसे का पाप हो या मारा पीटा हो तो २१ दिन तक आवाहन कर  रोटी / चना  पशु के आहार के अनुसार दें और उनसे माफ़ी मांगे । 
  8. यदि बैल , गाय, बछड़ा का पाप हो तो ननुआँ जी का आवाहन कर प्रार्थना करें  कि " कामधेनु माँ / नन्दी जी को भोग भेट दिलायें और इनके पाप, श्राप, प्रकोपों से हमें क्षमा कराएँ और आप भी कृपा करें।  "
  9. मेंढक का पाप होने पर २१ दिन तक उन्हें जलेबी खिलाये ( तालाब या नाली के किनारे जहाँ वह मिले )। 
  10. यदि सुअर का पाप है तो 7 दिन तक ननुआँ जी  का आवाहन कर वाराह देव का भोग लगायें और सुअर को खिलाएँ । सुअर का पाप होने पर व्यक्ति के आचार , विचार , कर्म गन्दे हो जातें हैं। प्रायश्चित करने पर आचार - विचार और कर्मों में शुद्धि आती है । 
  11. यदि पति पत्नी में व्यर्थ का क्लेश हो तो  ननुआँ जी का आवाहन कर किसी पात्र में कपूर जलाकर 8 जोड़े फूल वाली लौंग के देशी घी के साथ ननुआँ लक्ष्मण तथा उर्मिला जी का नाम लेकर अग्नि में आहुति  दें  । 
  12. यदि कोई मनुष्य अहंकारी है तो घर का कोई भी व्यक्ति 5 पेड़े लेकर  ननुआँ जी का आवाहन कर उनसे प्रार्थना करे कि ननुआँ जी आप आइये और  रावन तथा उसके परिवार को भोग दिलाइये और ............( अहंकारी व्यक्ति का नाम ) को अहंकार के मुक्ति दिलाइये। 
  13. यदि किसी ने साँप मारे हों या मरवाया हों  या स्वपन में  साँप देखा हो तो वह 21 दिन तक ननुआँ जी का आवाहन कर साँप का  कच्चे  दूध का भोग लगायें और सिर्फ पहले दिन एक सवा मीटर सफ़ेद कपड़ा पूजा में रखें और अगले दिन किसी अपरिचित गरीब को देदें ।  ( क्यों कि साँप को प्रत्यक्ष दूध पिलाना सम्भव नहीं है इसलिए कच्चे दूध की कटोरी को किसी मन्दिर में रखदें या फिर एक रात मुंडेर पर रहने दें फिर उसे अगले दिन किसी पौधे में डाल दें जिसकी पूजा नहीं होती । )
  14. केले के पत्ते कटाने या कटवाने के पाप का प्रायश्चित करने हेतु एक घी का दीपक , एक बेसन का लड्डू और एक लोटा जल में चीनी - चावल डाल कर  4 अगरबत्ति जलाकर  ननुआँ  ब्रहस्पति गुरु  का आवाहन कर उनसे निवदेन करें कि " हम ने केले के पेड़ और पत्ते काटे या कटवाए हैं उसके लिए हम माफी माँगते हैं हमें माफ़ करें और भोग स्वीकार करें  "। ननुआँ जी कहते हैं की यदि किसी भी कारण  से केले के पेड़ या पत्ते को काटना या कटवाना पड़े भले पूजा के लिए ही तो पहले ननुआँ जी का वाहन करें फिर क्षमा माँग कर आज्ञा लेकर ही पत्ता तोड़ें । 
  15. तुलसी तो ओटा कर पीना पाप है इसके उपाए हेतु  आवाहन कर एक घी का दीपक, थोड़ा मीठा पानी और कुछ मिष्ठान दे कर ननुआँ तुलसी माँ से माफ़ी मागें । 
  16. माँ गंगा जी का प्रकोप - यदि आप ने किसी जलाशय या पवित्र नदी को दूषित किया है ( उसमें साबुन लगा कर नहाना , मल - मूत्र त्यागना  या मासिक धर्म के समय इनमें नहाना ) तो सवा लीटर कच्चा दूध लेकर उसमे एक पेड़ा डाल कर ननुआँ गंगा जी का आवाहन कर क्षमा याचना करें और उस दूध और पेडे को नदी में प्रवाहित कर दें । 
  17. पीपल का पेड़ कटाने या कटवाने के पाप  का  प्रायश्चित करने  हेतु ननुआँ जी का आवाहन कर एक घी का दीपक जलायें , थोड़ा  मीठा पानी और दही - पेड़ा का भोग लगायें और क्षमा याचना करें । 
  18. ननुआँ जी कहते हैं कि ज्यादा तर घरों में इसलिए तकलीफ है क्यों कि उनके आउत पित्र अतृप्त हैं इसके लिए ननुआँ जी कहते  की रोज उनके नाम का शुद्ध भोजन निकालना चाहिए और फिर उसे गाये को खिलादेना चाहिए । तथा कोई भी वस्त्र या वास्तु नई आये तो ननुआँ जी का आवाहन कर उनसे प्रार्थना करें की ननुआँ जी आप आइये और हमारे आउत - पितरों को यह भोग भेंट दिलवाइए आप कृपा करें और उनकी  कृपा करवाइए । 
  19. मछली मारने के पाप के  प्रायश्चित हेतु 21 दिन तक ननुआँ  जी का आवाहन कर आटे की गोलियाँ बनाकर मछालियों को खिलायें । 

1 comment:

  1. ननुऑं जी कोन है?
    कृपया विस्तार पूर्व बताईये🙏🙏

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